एक कोशिश मिल बैठने की....

Friday, July 6, 2007

नशा है या आशनाई

मैं होश में था तो फिर उसपे मर गया कैसे

ये ज़हर मेरे लहू में उतर गया कैसे

कुछ उसके दिल में लगावट जरूर थी वरना

वो मेरा हाथ दबाकर गुज़र गया कैसे

जरूर उसके तसव्वुर की राहत होगी

नशे में था तो मैं अपने ही घर गया कैसे

जिसे भुलाये कई साल हो गये ऐ दोस्त

मैं आज उसकी गली से गुज़र गया कैसे

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