एक कोशिश मिल बैठने की....

Friday, July 6, 2007

एहसास

यादों का कोई मौसम हो


दोस्तों की जब महफ़िल हो

तन्हाई में भी एहसास नया हो

ख़्वाबों में भी उसका साथ हो

एक खूबसूरत झोंका ही सही

शायद मिलने की कोई बात हो

नये मौसमों का अब साथ हो

दिल को भी उसका इन्तिज़ार हो

चाहे जीत हो या अब हार हो

यादों और वादों का भी साथ हो

एक खूबसूरत झोंका ही सही

मुहब्बत को भी मुहब्बत की प्यास हो

ख़ता जो की है कोई सज़ा हो

इक़रार करने का भी अपना मज़ा हो

मिलेंगे हम जब उसकी भी दुआ हो

शरारत और शिक़ायत भी साथ हो

एक खूबसूरत झोंका ही सही

उसके दिल में मेरा ही एहसास हो

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