अपने होठों पर सजाना चाहता हूं
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूं
कोई आंसू तेरे दामन पर गिराकर
बूंद को मोती बनाना चाहता हूं
थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूं
छा रहा है सारी बस्ती में अंधेरा
रोशनी को घर जलाना चाहता हूं
आखिरी हिचकी तेरे शानों पे आये
मौत भी मैं शायराना चाहता हूं
1 comment:
"मौत भी मैं शायराना चाहता हूं"
In Panktiyon me Jaadu hai.
Yaqeenan ye us dil se nikli hui anubhootiyan hain jo ekdam PAAK hain.
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