एक कोशिश मिल बैठने की....

Friday, July 6, 2007

बहुत खूब दोस्त

मुझे विश्वास था कि वह कुछ अच्छा करेगा . दरअसल शुरू से ही उसमें बेहतर करने की बहुत गुंजाइश थी. शुक्र है कि ऐसा ही हुआ. यह भले ही एक छोटा प्रयास दिखता हो, मगर मैं इसे एक शुरूआत के रूप में देखता हूं. अभी तो इस सफर में कई पड़ाव आएंगे, कुछ इक्की दुक्की दिक्कतें भी पेश आएंगी, मगर वो सदा बेहतर करता रहे यही कामना है, और यही दुआ भीइसलिए नहीं के वो अच्छा दोस्त है, वह इसलिए क्योंकि वह वाकई बहुत मायनों में कईयों से कई दर्जे बेहतर हैएक बेहतर इंसान है। इन उधार ली गई कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियों के साथ अनुमति चाहूंगा



गहन सघन मनमोहक वन तक

मुझको आज बुलाते हैं

परंतु किए जो वादे मैंने

याद मुझे जाते हैं

अभी कहां आराम बदा

यह मूक निमंत्रण छलना है

अभी मीलों मुझको चलना है

अभी मीलों तुझको चलना है

अभी मीलों हमको चलना है

अभय


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