लुत्फ़ आता है ग़म उठाने में
क्या रक्खा है शराबखाने में
वक़्त लगता है कुछ बनाने में
देर लगती नहीं मिटाने में
याद करने की फ़ुरसतें न मिलीं
उम्र गुज़री तुझे भुलाने में
चाहते हैं कि रूठ जाओ तुम
के फ़िर मज़ा आयेगा मनाने में
मुझको बताओ या ना बताओ
कोई तो राज़ है सताने में
क्या रक्खा है शराबखाने में
वक़्त लगता है कुछ बनाने में
देर लगती नहीं मिटाने में
याद करने की फ़ुरसतें न मिलीं
उम्र गुज़री तुझे भुलाने में
चाहते हैं कि रूठ जाओ तुम
के फ़िर मज़ा आयेगा मनाने में
मुझको बताओ या ना बताओ
कोई तो राज़ है सताने में
1 comment:
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