कितना खु़श है
माँ की गोद में छोटा बच्चा
ये बहुत दूर है गुनाहों की लज़्ज़त से अभी
अभी इसने झूठ बोलना नहीं सीखा
न ये जानता है अपना मज़हब
न इसने लोगों को लड़ते देखा है
न इसने बेइमानी देखी
न इसने नफ़रत,न जुल्म,न ग़द्दारी देखी
अभी ये दुनियादारी नहीं समझता
अभी तो चाँद मांगता है ये
अपनी माँ तक ही दुनिया जानता है ये
कल ये बड़ा होगा
झूठ बोलना सीख जायेगा
गुनाह इसे आराम देंगे
नफ़रत,जुल्म,ग़द्दारी
मज़हब हो जायेंगे इसके
ये दुनियावालों की तरह खुदग़रज़ हो जायेगा
ऐ ख़ुदा काश
ये छोटा बच्चा
यूँ ही छोटा रहे
हमेशा
2 comments:
प्रथमत: बहुत-2 शुक्रिया जो मेरा ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया… मेरी प्रतिक्रिया तीखी नहीं थी सोंच तीखी होती है… चूँकि मानव मस्तिष्क से आगे अंधा होता है… आलोचना की जाती है मगर तरीका अलग होता है और वह है सहजता।
मैं कोई पुराना ब्लागर नहीं,ये मात्र मेरा शौक़ है जो कभी-2 आजमा लिया जाता है… वैसे भी तुमने देखा होगा कि मैं काफी कम लिखता हूँ…मेरे पास वैसे भी वक्त नहीं होता, ये तो एक प्यारा सा उलझन है…।
कई बार ऐसा होता है कि ENG--Hindi में कन्वर्ट करने पर कई सारे फांट नहीं मिलते और कभी -2 टाइपिंग Mistakes,जल्दी में!!!
हाँ ये जानकर प्रसन्नता हुई की मेरी रचना आपको भी पसंद आती है…फिल्म लाइन के व्यक्ति के पास कल्पनाशीलता की पूरी पोटली होनी चाहिए…तो कोशिश है मात्र की।
मेरे पिता भी पटना में ही प्रोफसर हैं वो भी हिंदी के और गुलजारबाग के करीब ही मेरा भी ठिकाना है
प्रमुख बात ये है कि मैं कभी भी(जो विन्यास की बात आपने लिखी थी)व्याकरणिक चतुराई में नहीं उलझता,हिंदी से मेरा सरोकार बहुत रहा भी नहीं है कभी, वहाँ मेरा भाव ही लय होता और शायद मेरी कविता की यही विशेषता भी…हाँ खयाल रखा जाएगा अशुद्धियों का…।
अब आपकी कविता पर कुछ कह लिया जाए---
कविता तो वाकई सराहनीय है पर मैं हमेशा ही कहता आया हूँ कि इस तरह की कविताएँ मनोवैज्ञानिक होती हैं और अगर इसमें कोई नया तत्व न हो तो वह पुरानी दिखती हैं… बच्चा तो वो है जो समस्त जटिलताओं का मुलाधार है मगर अवचेतन मन में होने के कारण ये न तो उसे पता चलता है ना ही औरों को…ये मत समझना कि किसी उद्देश्य के तहत मैं ऐसा कह रहा हूँ पर मैं जिन चीजों को अपनी कविता में रखने की कोशिश करता हूँ वह बहुत हद तक दर्शन-मनोविज्ञान का संगम होता है…।
बहुत-2 शुक्रिया…। Keep in Touch....Dear
कविता अच्छी है पर.. कोई नयापन नहीं लगा मुझे.. बस लगा की लिखने को लिखी गई है.. और बेहतर प्रयास की उम्मीद है...
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