इस रंग बिरंगी दुनिया पर क्या रंग असर करता है,
सब अपने रंग नहाए,
दूजा रंग रास न आए,
ना फाग जगा , न धमार उठी, न चंग असर करता है,
आँखों के सहस ठिकाने तन-ताप लगे झुलसाने,
ये देह बने जलजात हठात अनंग असर करता है,
रंग श्यामल मधुर मिठौना,
निर्गुण हो सगुण सलौना,
साखी, बानी, कविता, पद और अभंग असर करता है,
अबके वह रंग लगाना,
बन जाये जग 'बरसाना',
उत्सव का उज्ज्वल रंग मगर सबसंग असर करता है
1 comment:
बहुत बढिया रचना है। बधाई।
रंग श्यामल मधुर मिठौना,
निर्गुण हो सगुण सलौना,
साखी, बानी, कविता, पद और अभंग असर करता है,
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