एक कोशिश मिल बैठने की....

Sunday, July 8, 2007

कोई बहुत उदास रहता है

उससे कहना

कोई आज भी तुम बिन

हिज्र की झुलसती दोपहरों में सुलगता है

हब्स ज़दा रातों में

पलकों से तारे गिनता है

शाम के उदास लम्हों में

दरिया किनारे बैठकर तुम्हें याद करता है

अक्सर दरख्तों पर तुम्हारा नाम लिखता

और मिटाता रहता है

हवाओं से तुम्हारी बात करता है

तुम्हें लौट आने को कहता है

कोई तुमसे बिछड़ कर

बहुत उदास रहता है!

2 comments:

विभावरी रंजन said...

उत्कृष्ट

Monika (Manya) said...

तुम ही नहीं .. वो भी तुमसे बिछ्ड़ के उदास रहता है... लिख के तुम्हारा नाम फ़िज़ाओं पे.. तुमसे मिलने की दुआऐं... मांगा करता है.. बहुत खूब!!!!!!....